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राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (विगत राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान) की स्थापना सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के प्रशासनाधीन वर्ष 1984 में मनोविकास नगर, सिकंदराबाद में एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित की गई। राष्ट्रीय हित में, बौद्धिक दिव्यांगजन को गुणवत्ता वाले सेवाएँ प्रदान करने के लिए एन.आई.ई.पी.आई.डी. समर्पित है।
एन.आई.ई.पी.आई.डी. के तीन क्षेत्रीय केन्द्र नोएडा / नई दिल्ली, कोलकाता तथा मुम्बई में स्थित हैं। एन.आई.ई.पी.आई.डी. माडल विशेष शिक्षा केन्द्र, नोएडा/ नई दिल्ली पर स्थित है।
संस्थान बौद्धिक दिव्यांगजन को सशक्त बनाने के लिए क्षमता निर्माण में उत्कृष्टता प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है।
बौद्धिक दिव्यांग व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता देश के अन्य नागरिकों के समान है। वे यथा संभव स्वतंत्र रूप से अपना जीवनयापन करेंगे और राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान अपने निरंतर पेशेवर प्रयासों द्वारा शैक्षणिक, चिकित्सापरक, व्यावसायिक, रोजगार, अवकाशकालीन तथा सामाजिक क्रियाकलाप, खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे अत्याधुनिक पुनर्वास हस्तक्षेप प्राप्त करने एवं पूर्ण भागीदारी हेतु बौद्धिक दिव्यांग व्यक्तियों को साधीकृत बनाता है।
एन.आई.ई.पी.आई.डी. जिन उद्देश्यों के लिए कार्य करता है, वे निम्नलिखित है –
उद्देश्य
- मानव संसाधन विकास
- अनुसंधान एवं विकास
- देखरेख तथा पुनर्वास नमूने विकसित करना
- प्रलेखीकरण तथा प्रचार
- स्वैच्छिक संगठनों को परामर्शी सेवाएँ
- समुदाय आधारित पुनर्वास
- विस्तार तथा आउटरीच कार्यक्रम
सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए, संस्थान ने परास्नातक स्तर पर प्रारंभिक हस्तक्षेप, पुनर्वास मनोविज्ञान, विशेष शिक्षा और दिव्यांगता पुनर्वास जैसे नवीन संरचित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम विकसित और शुरू किए हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम प्र माणपत्र - डिप्लोमा - स्नातक - स्नातकोत्तर - परास्नातक स्तर से क्रमिक पैमाने पर पेश किए जाते हैं। वर्तमान में, संस्थान 5 सर्टिफिकेट कोर्स, 3 डिप्लोमा कोर्स (डीएसई (आईडी), डीवीआर, डीईसीएसई) संचालित करता है। इसके अलावा, 1 स्नातक पाठ्यक्रम (बी.एड विशेष.एड (आईडी)), 1 स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम (पीजीडीईआई) और 1 मास्टर पाठ्यक्रम (एम.एड विशेष.एजु) और 1 एम.फिल (पुनर्वास मनोविज्ञान) स्तर के पाठ्यक्रम विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबद्धता से चलाता है।
संस्थान की अनुसंधान नीति अनुसंधान आवश्यकता मैट्रिक्स को लगातार अद्यतन करना है जो मूल रूप से (ए) बौद्धिक दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन-चक्र की जरूरते (बी) बौद्धिक दिव्यांगजन के समग्र विकास सहित चिकित्सीय हस्तक्षेप की जरूरतें, परिवार का समर्थन, संसाधन समर्थन, क्षमता निर्माण की जरूरतें, और (सी) सार्वजनिक नीति और समाज को सक्षम बनाना, जैसे विषयों को कवर करता है। प्रलेखन और प्रसार संस्थान की महत्वपूर्ण गतिविधि है जिनमें (ए) पुस्तकों, पत्रिकाओं और दस्तावेजों की खरीद (बी) तिमाही समाचार पत्र का प्रकाशन, और द्विमासिक मेंटर्ड बुलेटिन का प्रकाशन शामिल है।
संस्थान प्रमुख स्वैच्छिक संगठनों, अभिभावक संगठनों के साथ साझेदारी में बौद्धिक दिव्यांगता संबंधित विषयो पर अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन/सेमिनार/कार्यशालाएं आयोजित करता है। एन.आई.ई.पी.आई.डी. में विशेष कर्मचारियों की राष्ट्रीय बैठक, अभिभावक संगठनों की राष्ट्रीय बैठक और राष्ट्रीय स्तर की कार्यशालाओं का भी आयोजन करता है। समुदाय में बौद्धिक विकलांग व्यक्तियों (दिव्यांगजन) के पुनर्वास के लिए, आधारिक स्तर पर ही सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए। शोध केंद्रों पर प्रदान की जाने वाली सेवाओं में पहचान, स्क्रीनिंग, मूल्यांकन, सेवाओं का वितरण, स्थानीय संसाधन व्यक्तियों का प्रशिक्षण और जरूरतमंद व्यक्तियों को प्रशिक्षण और सामग्री की आपूर्ति शामिल है।
संस्थान बौद्धिक दिव्यांगजन के जीवन में समानता और गरिमा लाने के लिए अपने कामकाज के हर पहलू में गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसे आईएसओ 9001: 2015 प्रमाणन द्वारा समर्थित किया गया है।
सोसाइटी का पंजीकरम |
22 फरवरी 1984 |
न्यूक्लियस कार्यालय की स्थापना |
सितम्बर 1984 |
सेवाओ का आरंभ |
15 फरवरी 1985 |
अनुसंधान परियोनाओं का आरंभ |
अप्रैल 1985 |
मेंटार्ड अब्स्ट्रैक्ट बुलेटिन |
जनवरी 1986 |
डिप्लोमा इन स्पेशल एजुकेशन (एम.आर.) |
फरवरी 1986 |
स्थायी भवनों में स्थानांतरित |
जून 1986 |
एन.आई.ई.पी.आई.डी. समाचार पत्र |
मार्च 1987 |
मानसिक मंदन में स्नातक पाठ्यक्रम |
जुलाई 1987 |
प्रारंभिक अंतराक्षेपण सेवाएँ |
जनवरी 1989 |
परिवार कुटीर सेवाएँ |
जनवरी 1991 |
प्रौढ़ स्वतंत्र जीवनयापन विभाग (पूर्व में व्यावसायिक प्रशिक्षण विभाग) |
जनवरी 1991 |
डीएसई (एमआर) पाठ्यक्रम में शीर्ष रैंक के लिए बी डी मेनन स्वर्ण पदक |
फरवरी, 1992 |
बहु दिव्यांग इकाई |
दिसम्बर 1993 |
जेनेटिक काउन्सेलिंग इकाई |
दिसम्बर 1993 |
डिप्लोमा इन वोकेशनल रीहैबिलिटेशन (मेंटल रिटार्डेशन) |
नवम्बर., 1995 |
वर्ष 1995 के लिए "दिव्यांगों के प्लेसमेंट अधिकारी" के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सुश्री ए टी थ्रेसिया कुट्टी द्वारा प्राप्त राष्ट्रीय पुरस्कार
|
दिसम्बर, 1995 |
मानसिक मंदता के स्नातक में शीर्ष रैंक प्राप्तकर्ता को अश्विनी सपरा पुरस्कार |
फरवरी 1996 |
वर्ष 1997 के लिए "सबसे कुशल दिव्यांग कर्मचारी" के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए श्री रवि शंकर को राष्ट्रीय पुरस्कार |
दिसम्बर,1997 |
क्षेत्रीय केन्द्र में सेवाएँ |
दिसम्बर 1999 |
समेकित क्षेत्रीय केन्द्र, भोपाल |
अगस्त 2000 |
बी.एड. स्पेशल एजुकेशन (एम.आर.) |
अगस्त 2000 |
उत्तर पूर्व क्षेत्र में आउटरीच सेवाएं |
नवम्बर 2000 |
जिला दिव्यांगता पुनर्वास केंद्र |
दिसम्बर 2000 |
रीजनल रीहैबिलिटेशन सेन्टर फार स्पाईनल इंजूरीस, जबलपुर |
दिसम्बर., 2000 |
बहु दिव्यांग व्यक्तियों के लिए संवेदी उत्तेजना कक्ष |
अप्रैल, 2001 |
आईडी वाले ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए संसाधन कक्ष |
अप्रैल, 2001 |
धीमा अधिगम वालों के लिए संसाधन कक्ष |
अप्रैल. 2001 |
पीजी डिप्लोमा इन अर्ली इंटरवेंशन |
जुलाई, 2001 |
बी.एड. स्पेशल एजुकेशन दूरस्थ पद्धति के लिए अध्ययन केन्द्र |
जुलाई, 2001 |
विजुअल अक्युइटी टेस्टिंग के लिए संसाधन कक्ष |
दिसम्बर, 2001 |
हाईड्रोथेरेपी सेवाएँ |
जनवरी., 2002 |
प्लेसमेंट सेल |
जनवरी., 2002 |
डिप्लोमा इन अर्ली चाइल्डहुड स्पेशल एजुकेशन |
मई, 2002 |
व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए कार्यस्थान |
जून, 2002 |
स्पीच थेरेपी, फिजियोथेरेपी, मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन, स्कूल से कार्य को आंतरण प्रारंभिक हस्तक्षेप पर सर्टिफिकेट कोर्स |
अगस्त., 2002 |
मनोरंजनम – अति गंभीर बौद्धिक दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सेवा इकाई |
फरवरी., 2003 |
बौद्धिक दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मोबाइल सेवाएँ |
फरवरी 2003 |
बैचिलर इन रीहैबिलिटेशन थेरेपी, चार वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम, नई दिल्ली |
सितम्बर, 2003 |
डिप्लोमा इन अर्ली चाईल्डहुड स्पेशल एजुकेशन, क्षेत्रीय केन्द्र, मुम्बई |
अक्तूबर., 2003 |
एम.फिल.रीहैबिलिटेशन साईकॉलजी |
नवम्बर, 2003 |
एमएड, स्पेशल एजुकेशन (एमआर) |
नवम्बर., 2003 |
स्टडी फेलोशिप |
मार्च, 2004 |
मास्टर्स् इन डिसबिलिटी रीहैबिलिटेशन (एमडीआरए) |
जुलाई 2004 |
डिप्लोमा इन वोकेशनल रीहैबिलिटेशन, क्षेत्रीय केन्द्र, कोलकाता |
अगस्त., 2004 |
बी.एड. स्पेशल एजुकेशन (एम.आर.) क्षेत्रीय केन्द्र कोलकाता |
अगस्त.. 2004 |
डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी रीहैबिलिटेशन एण्ड प्रॉजेक्ट मैनेजमेंट |
अक्तूबर., 2004 |
वर्ष 2004 के लिए "सर्वश्रेष्ठ जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्र के लिए नोडल अधिकारी" के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन पर डॉ विजया लक्ष्मी मायरेड्डी द्वारा प्राप्त राष्ट्रीय पुरस्कार |
दिसम्बर., 2004 |
आईएसओ 9001-2000 प्रमाणन |
अप्रैल., 2005 |
एम.फिल पुनर्वास मनोविज्ञान में शीर्ष रैंक प्राप्त कर्ता को आर एल सेठ स्वर्ण पदक |
जून., 2005 |
प्रारंभिक हस्तक्षेप में पीजी डिप्लोमा में शीर्ष रैंक प्राप्तकर्ता तुला अनंत स्वर्ण पदक |
जून., 2005 |
एनआईईपीआईडी प्रकाशनो का डिजिटीकरण |
जनवरी., 2006 |
आईसीटी एनेब्लिंग लैब |
मई., 2006 |
उत्तर प्रदेश तथा बिहार में प्रारंभिक पहचान तथा रेफरल सेवाओ के बारे में अंगनवाडी कार्यकर्ताओ के लिए प्रशिक्षण पर परियोजना |
जून, 2006 |
डिप्लोमा इन सीबीआर |
अगस्त, 2006 |
एम.फिल. इन स्पेशल एजुकेशन |
सितम्बर.,2006 |
असम में रोकथाम तथा प्रारंभिक पहचान पर पायलेट परियोजना |
सितम्बर.,2006 |
आंध्र प्रदेश, ओडिषा तथा प.बंगाल में आदर्श प्रारंभिक हस्तक्षेप केन्द्र |
अक्तूबर .,2006 |
आँध्रप्रदेश जिलों (निजामाबाद, आदिलाबाद, श्रीकाकुलम, नेल्लूर तथा गुन्टुर) एवं कर्नाटक जिलों (हवेरी, गडग जिला) में प्रारंभिक हस्तक्षेप केन्द्रों का विस्तार |
मार्च.,2007 |
डिवीआर, डीईसीएसई केन्द्रों का उ.प्र. महाराष्र तथा ओडिषा में चलाने के लिए गैरसरकारी संगठनों को वित्तीय सहायता का विस्तार |
जुलाई, 2008 |
पीडब्ल्यूडी के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से "सर्वश्रेष्ठ अनुप्रयुक्त अनुसंधान / तकनीकी नवाचार" के लिए श्री टी सी शिवकुमार को राष्ट्रीय पुरस्कार " |
दिसम्बर., 2008 |
एन.आई.ई.पी.आई.डी. रजत जयंती समारोह |
फरवरी ,2009 |
एम.एस.सी. डिसबिलिटी स्टडीस (अर्ली इंटरवेंशन) |
अप्रैल.,2009 |
आई.एस.ओ. 9001: 2008 प्रमाणन |
सितम्बर.,2009 |
एन.आई.ई.पी.ई.डी वेबसाइट का एन आई सी, हैदराबाद द्वारा होस्ट की गई है और नए डोमेन नाम (.GOV.IN) के साथ पंजीकृत किया गया। |
सितम्बर,2009 |